
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने देशभर में बहस छेड़ दी है। सोमवार को आए इस फैसले पर अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है — और वो काफ़ी साफ़ और सख़्त है।
“ये मानवीय नीति से पीछे हटना है”: राहुल गांधी
राहुल गांधी ने X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा:
“दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश दशकों पुरानी मानवीय और विज्ञान आधारित नीति से पीछे हटने जैसा है।”
उन्होंने आगे कहा:
“ये बेज़ुबान जानवर कोई समस्या नहीं हैं जिन्हें हटा दिया जाए। शेल्टर, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल से बिना क्रूरता के समाधान संभव है।”
राहुल गांधी का कहना है कि जनता की सुरक्षा और एनिमल वेलफ़ेयर साथ-साथ किया जा सकता है। उन्हें हटाना कोई “दूरदर्शी क़दम” नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या है?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों के भीतर डॉग शेल्टर में शिफ्ट किया जाए।
इस आदेश का कई एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स और पशु प्रेमियों ने विरोध किया है। उन्हें लगता है कि इससे जानवरों के प्रति क्रूरता को बढ़ावा मिलेगा।
TMC सांसद साकेत गोखले भी आए समर्थन में
टीएमसी नेता और राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने CJI को चिट्ठी लिखकर कहा:
“निर्दोष जानवरों पर बेवजह क्रूरता करना समाधान नहीं है। हमारे पास कुत्तों की नसबंदी और नियंत्रण के लिए पहले से कानून मौजूद हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को बिना किसी परामर्श के ऐसा मनमाना आदेश नहीं देना चाहिए।
क्या कहता है लॉ और एनिमल वेलफ़ेयर पॉलिसी?
भारत में AWBI (Animal Welfare Board of India) और अन्य संस्थाएं ABC Program (Animal Birth Control) जैसे मॉडल को सपोर्ट करती हैं, जिसमें:
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कुत्तों की नसबंदी
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रेबीज़ वैक्सीनेशन
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समुदाय में उनका शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
प्रो-एनिमल लॉ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कोर्ट को नीतिगत सलाहकारों से राय लेकर फैसले लेने चाहिए।
सोशल मीडिया में उठी बहस
जहां एक तरफ लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “जनता की सुरक्षा” के नजरिए से सही मान रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ “क्रूरता के खिलाफ” एक बड़ा तबका आवाज उठा रहा है।
राहुल गांधी के बयान के बाद बहस और तेज हो गई है।
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